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सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे गुट को भेजा नोटिस:स्पीकर नार्वेकर ने इसी गुट को असली शिवसेना बताया था, उद्धव ठाकरे आदेश को चुनौती दी

 

 

उद्धव गुट ने स्पीकर नार्वेकर के आदेश के खिलाफ 15 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर शिंदे गुट को नोटिस जारी किया है। नोटिस स्पीकर राहुल नार्वेकर के उस आदेश पर दिया गया, जिसमें उन्होंने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना घोषित किया है।

 

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मुख्यमंत्री शिंदे और अन्य विधायकों से दो सप्ताह में जवाब मांगा है।

दरअसल, स्पीकर ने 10 जनवरी को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत उनके गुट के 16 विधायकों को अयोग्य करार देने की उद्धव गुट की अपील खारिज कर दी थी। यानी इन सबकी सदस्यता बरकरार रहेगी। इसके साथ ही स्पीकर ने कहा था कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। इसी के खिलाफ उद्धव गुट ने 15 जनवरी को कोर्ट में याचिका दायर की थी।

 

स्पीकर के फैसला सुनाने के बाद मुंबई में शिंदे गुट की शिवसेना के ऑफिस के बाहर जश्न मनाया गया था।

उद्धव गुट के 14 विधायकों की सदस्यता भी बरकरार रखी थी
महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट के 16 विधायकों के साथ उद्धव गुट के 14 विधायकों की सदस्यता भी बरकरार रखी थी। यानी महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम में दोनों गुटों में किसी की विधायकी नहीं गई।

अब पढ़िए स्पीकर के फैसले की 5 अहम बातें....

  1. शिंदे के पास शिवसेना के 55 में से 37 विधायक हैं। उनके नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना है। चुनाव आयोग ने भी यही फैसला दिया था।
  2. शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटाने का फैसला उद्धव का था, पार्टी का नहीं। शिवसेना संविधान के अनुसार पक्ष प्रमुख अकेले किसी को पार्टी से नहीं निकाल सकते।
  3. शिवसेना के 1999 के संविधान आधार माना गया। 2018 का संशोधित संविधान चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है, इसलिए उसे मान्य नहीं किया गया।
  4. 21 जून 2022 को फूट के बाद शिंदे गुट ही असली शिवसेना था। उद्धव गुट के सुनील प्रभु का व्हिप उस तारीख के बाद लागू नहीं होता है, इसीलिए व्हिप के तौर पर भरत गोगावले की नियुक्ति सही है।
  5. शिंदे गुट की तरफ से उद्धव गुट के 14 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग खारिज की गई। फैसले में कहा गया कि शिंदे गुट ने विधायकों पर केवल आरोप लगाए हैं और उनके समर्थन में कोई सबूत नहीं दिए हैं।

 

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 29 अक्टूबर 2023 को विधायकों की अयोग्यता मामले पर बयान दिया था। उन्होंने मराठी मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा था कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा। उनका केस मजबूत है।

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स्पीकर ने फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा था
14 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने के लिए राहुल नार्वेकर को 10 दिन का और समय दिया था। नार्वेकर को पहले 31 दिसंबर तक का समय दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने डेडलाइन बढ़ाकर 10 जनवरी 2024 कर दी।

शिवसेना (उद्धव गुट) ने पार्टी तोड़कर जाने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मामले में जल्द फैसला लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान नार्वेकर ने कोर्ट को बताया था कि विधायकों की अयोग्यता को लेकर 2 लाख 71 हजार से अधिक पन्नों के डॉक्यूमेंट्स दाखिल किए गए हैं। महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र भी चल रहा है। इसलिए फैसला लेने के लिए 3 हफ्ते का समय लगेगा।

स्पीकर नार्वेकर की दलील पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि विधानसभा स्पीकर ने फैसले में देरी के जो कारण बताए हैं, वो वाजिब हैं। हम अध्यक्ष को फैसला सुनाने के लिए 10 जनवरी तक का समय देते हैं।

16 विधायकों में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत अब्दुल सत्तार, संदीपन भुमरे, संजय शिरसाट, तानाजी सावंत, यामिनी जाधव, चिमनराव पाटिल, भरत गोगवे, लता सोनवणे, प्रकाश सुर्वे, बालाजी किनिकर, अनिल बाबर, महेश शिंदे, संजय रायमुलकर, रमेश बोरनारे और बालाजी कल्याणकर का नाम है।

 

इस मामले में 14 दिसंबर 2023 को हुई सुनवाई में CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाए जाने की डेडलाइन 31 दिसंबर 2023 से बढ़ाकर 10 जनवरी 2024 कर दी थी।

फैसले के खिलाफ कोर्ट का सहारा लिया जा सकता है
सुप्रीम कोर्ट के वकील सिद्धार्थ शिंदे ने कहा कि अगर ठाकरे या शिंदे गुट को विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय स्वीकार्य नहीं है, तो दोनों समूह 30 दिन के अंदर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। अगर कोर्ट इस फैसले पर रोक लगाता है तो याचिकाकर्ताओं को राहत मिलेगी, लेकिन राष्ट्रपति के फैसले पर रोक लगवाना भी चुनौतीपूर्ण है।

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